भारत में गठबंधन राजनीति का मतलब है विभिन्न राजनीतिक दलों का एक साथ मिलकर सरकार बनाने या चुनाव लड़ने के लिए समझौता करना। यह तब होता है जब कोई एक दल अकेले बहुमत हासिल नहीं कर पाता है। गठबंधन में दल अपने हितों, विचारधाराओं या रणनीतियों के आधार पर साझेदारी करते हैं, जैसे संसद या विधानसभा में सीटें साझा करना, नीतियों पर सहमति बनाना या सत्ता में भागीदारी करना। उदाहरण के तौर पर, भारत में एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) और यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) प्रमुख गठबंधन हैं। यह व्यवस्था भारत की विविधता और बहुदलीय व्यवस्था के कारण आम है, लेकिन इसमें मतभेदों के कारण अस्थिरता भी आ सकती है।.
आइये आज भारत में गठबंधन की राजनीति के बारे में चर्चा करें – bharat mein gathbandhan ki rajniti ke bare mein charcha करते हैं.
गठबंधन राजनीति का मतलब और उसका महत्व (What is Coalition Politics in India)
भारत में गठबंधन राजनीति (Coalition Politics) एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें दो या अधिक राजनीतिक दल मिलकर सरकार बनाने, चुनाव लड़ने या सत्ता में भागीदारी करने के लिए एकजुट होते हैं। यह तब जरूरी हो जाता है जब कोई एक दल विधानसभा या लोकसभा में पूर्ण बहुमत (आवश्यक सीटों की संख्या) हासिल नहीं कर पाता। भारत की बहुदलीय व्यवस्था और क्षेत्रीय विविधता के कारण गठबंधन राजनीति पिछले कुछ दशकों में भारतीय राजनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है।
गठबंधन राजनीति की विशेषताएँ:
- साझा लक्ष्य: गठबंधन दल आम तौर पर साझा न्यूनतम कार्यक्रम (Common Minimum Programme) पर सहमत होते हैं, जिसमें सरकार की नीतियों और प्राथमिकताओं का खाका होता है।
- सीट बंटवारा: चुनाव से पहले दल यह तय करते हैं कि कौन सा दल कितनी और किन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगा।
- विचारधारा में समझौता: कई बार अलग-अलग विचारधारा वाले दल (जैसे वामपंथी और दक्षिणपंथी) भी गठबंधन करते हैं, जिसके लिए उन्हें अपनी नीतियों में लचीलापन दिखाना पड़ता है।
- क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दलों का मेल: राष्ट्रीय दल (जैसे बीजेपी, कांग्रेस) अक्सर क्षेत्रीय दलों (जैसे शिवसेना, सपा, डीएमके) के साथ गठबंधन करते हैं ताकि स्थानीय समर्थन और वोट हासिल कर सकें।
- अस्थिरता की संभावना: गठबंधन में मतभेद, नेतृत्व की महत्वाकांक्षा या नीतिगत असहमति के कारण सरकारें अस्थिर हो सकती हैं।
भारत में गठबंधन राजनीति का इतिहास
- प्रारंभिक दौर: 1960 और 1970 के दशक तक भारत में ज्यादातर एकल पार्टी (मुख्य रूप से कांग्रेस) का शासन रहा। लेकिन 1977 में जनता पार्टी के नेतृत्व में पहला बड़ा गठबंधन सरकार बनी, जिसमें कई दलों ने मिलकर कांग्रेस को हराया।
- 1980-90 का दशक: यह दौर गठबंधन राजनीति का स्वर्ण युग था। 1989 में वी.पी. सिंह की अगुवाई वाली राष्ट्रीय मोर्चा सरकार, 1996 में संयुक्त मोर्चा और 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार इसके उदाहरण हैं।
- 2000 के बाद: 2004-2014 तक यूपीए (कांग्रेस के नेतृत्व में) और 2014 से अब तक एनडीए (बीजेपी के नेतृत्व में) गठबंधन की प्रमुख ताकतें रही हैं।
प्रमुख गठबंधन (Major Coalitions in India)
प्रमुख गठबंधन और उनकी संरचना (मई 2025)
- राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA):
- नेतृत्व: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
- प्रमुख सहयोगी:
- जनता दल (यूनाइटेड) – नीतीश कुमार (12 सीटें)
- तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) – चंद्रबाबू नायडू (16 सीटें)
- शिवसेना (शिंदे गुट), लोक जनशक्ति पार्टी, अपना दल, आदि।
- विशेषता: दक्षिणपंथी, हिंदुत्ववादी विचारधारा, लेकिन क्षेत्रीय दलों पर निर्भर।
- 2024 में स्थिति: बीजेपी ने 240 सीटें जीतीं, जो बहुमत से कम थी। एनडीए के कुल 293 सीटों के साथ नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद संभाला।
- इंडिया गठबंधन (I.N.D.I.A):
- नेतृत्व: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- प्रमुख सहयोगी:
- समाजवादी पार्टी (37 सीटें), तृणमूल कांग्रेस (29 सीटें), आम आदमी पार्टी, डीएमके, आदि।
- विशेषता: मध्यमार्गी, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय पर जोर।
- 2024 में स्थिति: कुल 234 सीटें, जिसमें कांग्रेस (99) ने मजबूत प्रदर्शन किया। एनडीए को कड़ी टक्कर दी।
- क्षेत्रीय गठबंधन:
- बिहार: महागठबंधन (राजद, कांग्रेस, वाम दल) बनाम एनडीए (बीजेपी, जेडी(यू))।
- महाराष्ट्र: महायुति (बीजेपी, शिवसेना-शिंदे, एनसीपी-अजित) बनाम एमवीए (कांग्रेस, शिवसेना-उद्धव, एनसीपी-शरद पवार)।
- आंध्र प्रदेश: टीडीपी-बीजेपी गठबंधन बनाम वाईएसआर कांग्रेस।
गठबंधन राजनीति के फायदे
- विविधता का प्रतिनिधित्व: विभिन्न क्षेत्रों, जातियों, और समुदायों की आवाज सरकार में शामिल होती है।
- स्थानीय मुद्दों का समाधान: क्षेत्रीय दलों के शामिल होने से स्थानीय समस्याओं पर ध्यान जाता है।
- चुनावी जीत की संभावना: गठबंधन से वोटों का बंटवारा कम होता है, जिससे जीत की संभावना बढ़ती है।
- संतुलन: एकल पार्टी के दबदबे को रोककर सत्ता का विकेंद्रीकरण होता है।
गठबंधन राजनीति की चुनौतियाँ
- अस्थिरता: दलों के बीच मतभेद के कारण सरकार गिरने का खतरा रहता है (जैसे 1998 में अटल सरकार का गिरना)।
- नीतिगत समझौते: विचारधारा में अंतर के कारण नीतियों को लागू करने में देरी या समझौता करना पड़ता है।
- नेतृत्व का टकराव: गठबंधन में सभी दल अपने नेताओं को महत्वपूर्ण पद देना चाहते हैं, जिससे विवाद हो सकता है।
- वोटों का नुकसान: कुछ गठबंधन मतदाताओं को भ्रमित कर सकते हैं, जिससे उनके मूल समर्थक दूरी बना सकते हैं।
वर्तमान परिदृश्य (Current Affairs in Coalition Politics as of May 2025)
1. एनडीए सरकार (2024 लोकसभा चुनाव के बाद)
- 2024 लोकसभा चुनाव: बीजेपी ने 240 सीटें जीतीं, जो बहुमत (272) से कम थी। एनडीए के सहयोगी दलों, खासकर टीडीपी (16 सीटें) और जेडी(यू) (12 सीटें), के समर्थन से नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।
- वर्तमान स्थिति:
- टीडीपी और जेडी(यू) की भूमिका: ये दल केंद्र में महत्वपूर्ण हो गए हैं। टीडीपी के चंद्रबाबू नायडू और जेडी(यू) के नीतीश कुमार ने मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण विभागों की मांग की।
- चुनौतियाँ: नीतीश कुमार और नायडू की क्षेत्रीय मांगें (जैसे आंध्र प्रदेश और बिहार के लिए विशेष पैकेज) सरकार के लिए चुनौती हैं। नीतीश की अस्थिर गठबंधन इतिहास भी चिंता का विषय है।
- हालिया विकास: मई 2025 तक, एनडीए सरकार स्थिर दिख रही है, लेकिन विपक्षी दलों ने संसद में गठबंधन के मुद्दों (जैसे नीट विवाद, बिहार में बाढ़ राहत) पर सरकार को घेरने की कोशिश की है।
2. इंडिया गठबंधन की स्थिति
- 2024 का प्रदर्शन: इंडिया गठबंधन ने 234 सीटें जीतीं, जिसमें कांग्रेस (99), सपा (37), और टीएमसी (29) प्रमुख थीं। यह गठबंधन एनडीए को कड़ी टक्कर देने में सफल रहा।
- वर्तमान स्थिति:
- आंतरिक मतभेद: गठबंधन में एकता की कमी दिख रही है। ममता बनर्जी (टीएमसी) ने हाल ही में गठबंधन से दूरी बनाई और 2026 के पश्चिम बंगाल चुनाव में अकेले लड़ने की बात कही।
- कांग्रेस की रणनीति: राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे गठबंधन को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं, खासकर 2025-26 के आगामी विधानसभा चुनावों (जैसे बिहार, पश्चिम बंगाल) के लिए।
- हालिया विवाद: इंडिया गठबंधन ने संसद में नीट, बेरोजगारी, और महंगाई जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरा, लेकिन दलों के बीच समन्वय की कमी दिखी।
3. क्षेत्रीय गठबंधन
- बिहार: नीतीश कुमार (जेडी(यू)) और बीजेपी का गठबंधन 2025 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में है। दूसरी ओर, राजद, कांग्रेस, और वाम दलों का महागठबंधन भी सक्रिय है।
- महाराष्ट्र: 2024 के विधानसभा चुनाव में महायुति (बीजेपी, शिवसेना-शिंदे, एनसीपी-अजित) ने जीत हासिल की, लेकिन शिवसेना (उद्धव) और एनसीपी (शरद पवार) के साथ कांग्रेस का एमवीए गठबंधन अब भी विपक्ष में मजबूत है।
- आंध्र प्रदेश: टीडीपी और बीजेपी का गठबंधन मजबूत है, लेकिन वाईएसआर कांग्रेस विपक्ष में सक्रिय है।
4. हालिया घटनाएँ (Recent Developments)
- नीट और शिक्षा विवाद: विपक्षी गठबंधन ने नीट पेपर लीक और शिक्षा नीति पर केंद्र सरकार को घेरा, जिसमें इंडिया गठबंधन के दलों ने एकजुट प्रदर्शन किया।
- महंगाई और बेरोजगारी: इंडिया गठबंधन ने संसद के शीतकालीन सत्र (नवंबर-दिसंबर 2024) में इन मुद्दों पर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश की, लेकिन एनडीए की संख्या बल के कारण यह सफल नहीं हुआ।
- क्षेत्रीय मांगें: टीडीपी ने आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य का दर्जा और अमरावती परियोजना के लिए फंड की मांग की, जिस पर केंद्र विचार कर रहा है।
- विपक्षी रणनीति: मई 2025 में इंडिया गठबंधन ने 2026 के विधानसभा चुनावों के लिए रणनीति बैठकें शुरू की हैं, जिसमें सपा और टीएमसी जैसे दल सक्रिय हैं।
निष्कर्ष
भारत में गठबंधन राजनीति देश की जटिल सामाजिक और क्षेत्रीय संरचना का परिणाम है। यह व्यवस्था विभिन्न समुदायों और विचारधाराओं को एक मंच पर लाती है, लेकिन इसके साथ अस्थिरता और समझौतों की चुनौतियाँ भी आती हैं। वर्तमान में (मई 2025), एनडीए और इंडिया गठबंधन भारतीय राजनीति के दो प्रमुख ध्रुव हैं, और आगामी विधानसभा चुनावों में इनके बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है। गठबंधन की सफलता दलों के बीच समन्वय, नेतृत्व की एकजुटता, और मतदाताओं के विश्वास पर निर्भर करती है।
यदि आप किसी विशिष्ट गठबंधन, दल, या घटना के बारे में और जानकारी चाहते हैं, तो कृपया बताएँ!